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सत्यमेव जयते

“सत्यमेव जयते” भारत सरकार द्वारा प्रकाशित पुस्तक *महात्मा ज्योतिबा फुले* के अंश। लेखक कन्हैयालाल चंचरिक +दलितों के मुक्तिदाता+ 281. दलितों अष्प्रश्यों और निम्न जातियों की मुक्ति के लिए ज्योतिबा पहले स्वयं पहल करते थे।

शासन बाद में जागता था। अंग्रेज और अन्य यूरोपीय देशों के भारत स्थित उच्च अधिकारियों, सैनिक,कर्मचारियों और व्यापारियों को यहां की जटिल समाज व्यवस्था की पूरी जानकारी नहीं थी किंतु ईसाई धर्म प्रचारक यहां की धार्मिक कमजोरी, पाखंड, अंधविश्वास और रूढ़िवादिता से परिचित थे और इसी कारण वे पूरे भारत में धर्म प्रचार,

धार्मिक शिक्षा के प्रसार, धर्मांतरण जैसी प्रवृत्तियों में संलग्न थे। पाश्चात्य शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का प्रसार तो काफी समय बाद किया गया। निरंतर।#नशा,छोड़ें। सत्यशोधक दिन बंधू न्यूज संपादक शंकरराव लिंगे 73 87 37 78 01

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