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सत्यमेव जयते

“सत्यमेव जयते”भारत सरकार द्वारा प्रकाशित पुस्तक *महात्मा ज्योतिबा फुले* के अंश। लेखक कन्हैयालाल चंचारिक +पुणे नगर पालिका की सदस्यता+ 317. उन्होंने अंतरात्मा की आवाज को सुनकर ही यह विरोध प्रकट किया और आगे की पिडियो को यह बताया कि व्यक्ति कितना भी बड़ा हो उसे अपनी आत्मा की पुकार के अनुसार ही कार्य करना चाहिए।
ज्योतिबा पूना नगर की बस्तियों में बराबर दौरे करते थे। जब भी समय मिलता वह लोगों से मिलने निकल पड़ते। उनकी मान्यता थी कि जो सदस्य सार्वजनिक हित के काम नहीं करता उसे नगर पालिका का सदस्य बने रहने का अधिकार नहीं है। यह जनता की सेवा करने का एक ऐसा मौका है जिसे खोना नहीं चाहिए। निरंतर।#नशा,छोड़ें।

